Hello Friends,
दोस्तों आज का दिन एक ऐसी सख्शियत के नाम है जिसने पढ़ने-लिखने और खेलने-कूदने की छोटी सी उम्र में आतंकवादियों से लोहा लेना शुरू कर दिया, लेकिन इसके लिए उसने बन्दूक और गोला बारूद की जगह हथियार बनाया शिक्षा को। उन आतंकवादियों की गोलियों और धमकियों से ना वो डरी ना सहमी, यहाँ तक की मौत भी उसके इरादों को बदल ना सकी। और जब एक तालिबानी आतंवादी ने उसे point blank range से गोली मारी तो भी वो डरी नहीं, उसने अपने हौसले से मौत को हरा दिया। उसने सभी महिलाओं और बच्चियों को शिक्षा दिलाने के लिए अपनी जंग और मुहीम को जारी रखा। वो लड़की थी – मलाला युसुफ़ज़ई (Malala Yousafzai), जिसे मात्र 17 साल की उम्र में शान्ति के नोबेल पुरुस्कार (Nobel Peace Prize) से नवज़ा गया, जो की अब तक सबसे कम उम्र में नोबेल पुरूस्कार पाने वाली शख्शियत है। और यही वजह है कि आज के दिन मतलब “12 जुलाई” को पुरे विश्व में “मलाला युसुफ़ज़ई दिवस” के रूप में मनाया जाता है। आइये आज हम जानते है उस साहसी-निर्भीक- निडर लड़की के जीवन के बारे में और उसकी inspiring thoughts के बारे में।
मलाला युसुफ़ज़ई का बचपन और शुरूआत –
मलाला युसुफ़ज़ई का जन्म आज ही के दिन 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा नामक स्थान पर एक पश्तो परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम जियाउदीन युसुफ़ज़ई और माँ का नाम तोर पेकई है। मिंगोरा पर तालिबान ने मार्च 2009 से मई 2009 तक कब्जा कर रखा था, जब तक की पाकिस्तानी सेना ने क्षेत्र पर Control हासिल करने के लिए अभियान शुरू किया। 2009 में पहली बार मलाला उस वक्त सुर्खियों में आईं जब उन्होंने तालिबानी आतंकियों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के बारे में एक नकली नाम (Fake Name) से Blog बनाकर लिखना शुरू कर दिया और उसके इस ब्लॉग को Publish करने का कार्य किया BBC News ने। मलाला के इस Fake blog का नाम “गुल मकई” था। और इसके बाद मलाला को चरमपंथी अपने लिए खतरा समझने लगे।
बकौल BBC तालिबानियों के डर के कारण कोई चरमपंथियों के खिलाफ जुबान नहीं खोलता था। स्वात घाटी के केंद्र मिंगोरा में हालात ऐसे हो गए थे कि लोग जब सुबह उठते तो उन्हें शहर के चौराहों पर लटकी हुई लाशें मिलती थीं। कई लोगों को इस वजह से मार दिया गया क्योंकि उन पर तालिबान का विरोध करने का आरोप भर लगा था। मलाला ने ब्लॉग और मीडिया में तालिबान की ज्यादतियों के बारे में जब से लिखना शुरू किया तब से उसे कई बार मौत की धमकियां मिलीं। मलाला उन पीड़ित लड़कियों में से है जो तालिबान के फरमान के कारण लंबे समय तक स्कूल जाने से वंचित रहीं। तीन साल पहले स्वात घाटी में तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। लड़कियों को टीवी कार्यक्रम देखने की भी मनाही थी। स्वात घाटी में तालिबानियों का कब्जा था और स्कूल से लेकर कई चीजों पर पाबंदी थी। मलाला भी इसकी शिकार हुई। संघर्ष के दौरान ही मलाला ने अपनी एक डायरी लिखनी start कर दी थी। जिसमे उसने स्वात घाटी में तालिबान की दरिंदगी का वर्णन करने के साथ-साथ अपने दर्द को भी बयां किया था|अपनी इस डायरी के माध्यम से मलाला ने क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ जागरुक किया बल्कि तालिबान के खिलाफ खड़ा भी किया। 2009 में ही सेना की कार्रवाई के दौरान मलाला को अपना घर छोड़ कर शांगला जाना पड़ा। 2010 में स्वात में सरकार का नियंत्रण हो गया और मीडिया ने वहां जाकर स्टोरी करनी शुरू कीं। मीडिया ने मलाला के बारे में भी स्टोरी कीं। इसके बाद 13 साल की मलाला को पूरे पाकिस्तान भर में जाना पहचाना जाने लगा और उसे बहादुरी के लिए अवार्ड से नवाजा गया।
मलाला युसुफ़ज़ई पर तालिबानी हमला –
अब जैसे जैसे Malala Yousafzai की लोकप्रियता बढती जा रही थी उसकी जान पर खतरा मंडराना start हो गया था। उसके फेसबुक अकाउंट पर उसको जान से मारने की धमकिया आने लगी थी लेकिन मलाला इन धमकियों से नही डर रही थी। जब तालिबानियों को लग गया कि ये लडकी ऐसे नही मानने वाली है तो तालिबानी नेता ने उसे मारने की योजना बनाई। 9 अक्टूबर 2012 को जब वो परीक्षा देकर वापस अपने घर लौट रही थी तब एक नकाबपोश आतंकवादी गाडी में चढ़ गया और जोर से चिल्लाया “तुम में से मालाला कौन है? जल्दी बताओ वरना मै तुम सबको गोली मार दूंगा”। तभी मलाला पुरे साहस के साथ खडी हुयी और बोली “मै मलाला हु।” इसके बाद उस आतंकवादी ने तीन गोलिया चलाई। एक गोली मलाला के सिर के बायीं तरफ लगी, और एक उनके कंधे पर लगी। वह पूरी तरह से अचेत हो चुकी थी। गोलीबारी के बाद मलाला को पेशावर के मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और पांच घंटे के ऑपरेशन के बाद बुलेट को उसके शरीर से निकाल दिया गया लेकिन फिर भी उसकी हालत नाजुक थी और वो कोमा में चली गयी थी। लेकिन जब उन्हें जल्दी से स्वास्थलाभ के इरादे से इंग्लैंड में बिर्मिंघम के Queen Elizabeth Hospital में ले जाया गया तो उनकी हालत में थोडा सुधार आया। मलाला की बीमारी का सारा खर्च पाकिस्तानी सरकार ने दिया था। 17 अक्टूबर 2012 को मलाला कोमा से बाहर आ गयी और अब वो थोडा हिलने डुलने लगी थी और 8 नवम्बर को उसकी बेड पर बैठे फोटो सामने आयी। 3 जनवरी 2013 को मलाला को हॉस्पिटल से छुट्टी से दी गयी। इस घटना की जानकारी पुरे विश्व में पहुँची और मलाला के प्रति लोगो की सहानुभूति बढ़ गयी। गोलीबारी के विरोध में पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए और 2 मिलियन लोगो ने Right to Education अभियान याचिका पर हस्ताक्षर किये। इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी मलाला के पिता ने देश छोड़ने से मना कर दिया और तालिबान के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद भी तालिबानी चरमपंथी मलाला और उनके पिता जियाउद्दीन युसुफ़ज़ई को मारने की लगातार कोशिशे करते रहे।
मलाला युसुफ़ज़ई को मिले पुरूस्कार और सम्मान –
पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार – 2011
अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में शांति को बढ़ावा देने के लिए उसे साहसी और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 19 दिसम्बर 2011 को पाकिस्तानी सरकार द्वारा पाकिस्तान का पहला युवाओं के लिए राष्ट्रीय शांति पुरस्कार मलाला युसुफ़ज़ई को मिला था।
उसी साल जुलाई में मलाला ने United Nations के मुख्य कार्यालय में वैश्विक स्तर पर शिक्षा पर भाषण दिया और अक्टूबर में कनाडा सरकार ने युसुफ़ज़ई को कनाडा की नागरिकता स्वीकार करने का आमंत्रण भी दिया
अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामाँकन (2011)
अंतरराष्ट्रीय बच्चों की वकालत करने वाले समूह Kids Rights Foundation ने युसुफ़ज़ई को अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए प्रत्याशियों में शामिल किया, वह पहली पाकिस्तानी लड़की थी जिसे इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन युसुफ़ज़ई यह पुरस्कार नहीं जीत सकी और यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीक़ा की 17 वर्षीय लड़की ने जीत लिया।
अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार (2013)
हेग में आयोजित एक समारोह में वर्ष 2011 का नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने वाली महिला अधिकार कार्यकर्ता तवाकुल रहमान ने 6 सितम्बर 2013 को मलाला युसुफ़ज़ई को बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया।
साख़ारफ़ (सखारोव) पुरस्कार (2013)
मलाला युसुफ़ज़ई को यूरो संसद द्वारा वैचारिक स्वतन्त्रता के लिए साख़ारफ़ पुरस्कार प्रदान किया गया है। बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष में महती भूमिका निभाने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है।
मैक्सिको का समानता पुरस्कार (2013)
मलाला यूसुफजई को 25 नवम्बर 2013 को Equality and Non-Discrimination का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाने की घोषणा हुई है। मैकिसको में भेदभाव निरोधक राष्ट्रीय परिषद की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मलाला को यह पुरस्कार मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उसके प्रयासों विशेषतया जाति, उम्र, लिंग में भेदभाव किए बिना शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष को देखते हुए दिया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार सम्मान (Human Rights Award – 2013)
संयुक्त राष्ट्र ने मलाला युसुफ़ज़ई को 2013 का मानवाधिकार सम्मान (Human Rights Award) देने की घोषणा की। यह सम्मान मानवाधिकार के क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियों के लिए हर पांच साल में दिया जाता है। इससे पहले यह सम्मान पाने वालों में नेल्सन मंडेला, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर व एमनेस्टी इंटरनैशनल आदि शामिल हैं।
नोबेल पुरस्कार
बच्चों और युवाओं के दमन के ख़िलाफ़ और सभी को शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से उन्हें 10 दिसंबर 2014 को नाॅर्वे मे आयोजित एक कार्यक्रम मे शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। 17 वर्ष की आयु में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र वाली नोबेल विजेती बन गयी।
12 जुलाई 2013 को यूनाइटेड नेशन ने मलाला के 16वे जन्मदिन पर “Malala Day (मलाला दिवस)” मनाने की घोषणा की जिसक उद्देश्य पुरे विश्व में शिक्षा का प्रसार करना है |
2013 में उन्हें वूमन ऑफ द ईयर अवार्ड से भी नवाजा गया था।
मई 2014 में युसुफ़ज़ई को किंग्स कॉलेज, हैलिफैक्स द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गयी।
टाइम्स पत्रिका के 2013, 2014 और 2015 के संस्करणों में युसुफ़ज़ई को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगो की सूचि में भी शामिल किया गया।
मलाला युसुफ़ज़ई के अनमोल विचार –
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Reference :
इस post के लिए कुछ Content Wikipedia से लिया गया है।
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||Thank You||
तो दोस्तों ये था Malala Yousafzai के बारे में हिन्दी में। उम्मीद करता हूँ कि आपको यह Post पसंद आई होगी। दोस्तों अगर आपको यह post पसंद आये तो इसे बाकी दुसरे लोगों और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे साथ ही मेरे Facebook Page को Like करे। Dear Friends, मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं आपको कुछ अच्छी और सही जानकारी प्रदान करू और अगर आप यहाँ से कुछ सीख रहे हो तो यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि उस जानकारी को निचे दिए गए links पर Click कर शेयर करे और अपने दोस्तों तक पहुँचाये।