Hello Dear Friends,
बहुत से लोग अगर गरीब परिवार में पैदा होते हैं तो वे उसे अपनी किस्मत मान लेते हैं और पूरी जिंदगी अपनी किस्मत को दोष देते हुये गरीबी में ही बिता देते हैं। लेकिन इन्ही में से कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो गरीबी की बेड़ियों को तोड़कर और हर तरह की परेशानियों से निकलकर अपनी किस्मत खुद लिखते हैं। इसी प्रकार के एक सख्स है “Bahadur Ali – बहादुर अली”। साइकिल के पंचर निकालने की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले इस सख्स की तरक्की के बारे में कल्पना करने के लिए आपके शब्द और सोच दोनों कम पड़ सकते हैं। जी हाँ, क्योंकि इस शख्स ने कामयाबी की ऐसी इबारत लिख दी है जिसे किसी ख्वाब का सच होना ही कहा जा सकता है। बहादुर अली ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा मुकाम पा लिया है कि वो आज देश की तीसरी बड़ी Broiler Company के मालिक हैं। उनकी Company “The Indian Broiler Group” 2200 करोड़ का turnover देने वाली कंपनी बन गई है। आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी…..
बचपन में ही गुजर गए पिता
अविभाजित मध्य प्रदेश के छोटे से गांव राजनंदगांव में पले-बढ़े बहादुर अली के लिये कुछ कर गुजरने के हौसले और जुनून से सफलता के शिखर तक पहुँचने का यह सफ़र इतना भी आसान नहीं था। बचपन में अपने पिता और फिर भाई के साथ साइकिल की दुकान पर पंक्चर ठीक करने का काम करते थे। तब जाकर इनके परिवार की गुजर-बसर होती थी। लेकिन इसी बीच 1978 में इनके पिता की मृत्यु हो गयी और परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। उनके बड़े भाई सुल्तान अली और उन्होंने खुद ने पिता से विरासत में मिली साइकिल की दुकान संभाल ली। कुछ समय बाद उनको लगा कि सिर्फ पंचर की दुकान से जिन्दगी गुजरना बहुत मुश्किल है। वो कहते है कि “अगर आप यह सोचकर पैसा कमाते हैं कि आपको आराम की जिंदगी चाहिए तो यह आपकी सोच हो सकती है, लेकिन मैं आराम की जिंदगी उसको समझता हूं जो आपको काम करने से मिलती है।”
कैसे हुई अपनी तकदीर बदलने की शुरुआत –
Bahadur Ali बताते हैं, “एक दिन उनकी मुलाकात एक Doctor से हुई, जिन्होंने उन्हें Poultry Business के बारे में समझाया। Bahadur Ali को उस Doctor के Idea में दम लगा और 1984 में उन्होंने 100 मुर्गियों के साथ Poultry Business शुरू कर दिया। उनका Business तो शुरू हो गया, लेकिन 100 मुर्गियां बेचना बड़ा ही कठिन काम था। क्योंकि मुर्गियां पालना अलग चीज थी और उसे बेचना दूसरी चीज। उन्होंने बताया कि मुर्गियों को बेचना उनके लिए एक challenge की तरह था और उसको उन्होंने Positive रूप में लिया। अली ने market में उतरने से पहले उसे पूरी तरह research किया और Ali को idea आया कि वो क्यों न वे खुद के Outlets खोल दें। इस तरह अली ने खुद की कंपनी के लिए marketing शुरू कर दी।
उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा था कि 1996 तक IB Group का Turnover 5 करोड़ रुपए तक पहुँच गया। लेकिन उनका इरादा यहीं रुकने का नहीं था। फिर उनके इस स्वर्मिण सफ़र में बदलाव आया दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे एक “World Poultry Fair” से। यहाँ देश विदेश के बहुत से Poultry Consultant और इस व्यवसाय के जानकार लोग थे। अंग्रेजी भाषा से अनजान अली भी इसमें भाग लेने पहुँच गए। इसमें उनकी मदद की उनके बेटों और बहनोई ने। वे हर स्टॉल पर गए और फिर वहाँ उनकी मुलाकात एक American Consultant से हुई और उसने उन्हें Technology के बेहतर इस्तेमाल के साथ Business के गुर सिखाए। अली बताते हैं कि “उन्होंने मेरा नाम भी नहीं पूछा, बस इतना ही कहा कि जो मेरी Knowledge है, उसे आप ले लो।” उसके बाद उनकी लगभग सारी उलझनें दूर हो गईं और वे बिना इन्तजार किये बिना सोचे अपनी मंजिल की ओर चल पड़े।
किस प्रकार व्यवसाय को पहुँचाया बुलंदियों पर
छोटे-बड़े Experiment से सीखते-सीखते उन्होंने साल 1999 में पहला “Poultry Feed Plant” शुरू किया। 2006 में पहली “Solvent Extraction Plant” की शुरूआत की। 2007 में “Oil Refinery”, 2008 में “Fish Feed Plant” भी लगाया और वर्ष 2010 में “High Protein Pet Food” की शुरूआत की। आज Bahadur Ali के IB Group की कुक्कुट पालन क्षमता 50 लाख से अधिक है। आज उनके उत्पादों में “Packaged Milk”, “Fish Feed”, “Vegetable Oil”, “Soyabean Meal” आदि शामिल हैं। उनका Business छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ और उड़ी में फैला हुआ है। लेकिन उनका काम ज्यादातर गांवों में है तो कर्मचारियों में भी 90 फीसदी गांव वाले ही हैं। अली पहले बेचने की चिंता करते हैं, फिर Technology के साथ उसका Production, ताकि Surplus न हो। इससे साफ है कि Ali ने अपनी तकदीर की इबारत खुद लिखी है।
इस Business को बहादुर ने अपने भाई सुल्तान अली के साथ मिलकर इन बुलंदियों तक पहुंचाया है। धीरे-धीरे दोनों भाइयों ने अपने बेटों जीशान बहादुर और फाहिम सुल्तान को भी इस Business में शामिल कर लिया। आज इनका Business छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ और उड़ी में फैला हुआ है। लेकिन उनका काम ज्यादातर गांवों में है तो कर्मचारियों में भी 90 फीसदी गांव वाले हैंं। आज उनकी company की बदौलत करीब 8000 कर्मचारियों का घर चलता है और यह गिनती हर साल 10 फीसदी से बढ़ रही है। बहादुर अली की Company कंपनी सालाना 30 प्रतिशत की growth के साथ बढ़ रही है। वहीं, Company को वर्ष 2015 के लिए “Asian Poultry Breeding Personality Award” भी मिला है।
||Thank You||
तो दोस्तों ये सफलता की कहानी थी उस सख्स के बारे में जिसने साईकल की दुकान पर पंचर निकालते हुये अपनी खुद की मेहनत और लगन से 2200 करोड़ की company खड़ी कर दी। CSC की ओर से सलाम है ऐसे व्यक्तित्व “बहादुर अली” को। दोस्तों आपको यह Post कैसी लगी Please Comment करके मुझे बताये। आपके comments और सुझाव मेरे लिए बहुत आवश्यक तथा प्रेरणादायक होंगें। वैसे उम्मीद करता हूँ कि आपको यह Post पसंद आई होगी। दोस्तों अगर आपको यह post पसंद आये तो इसे बाकी दुसरे लोगों और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे साथ ही मेरे Facebook Page को Like करे। Dear Friends, मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं आपको कुछ अच्छी और सही जानकारी प्रदान करू और अगर आप यहाँ से कुछ सीख रहे हो तो यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि उस जानकारी को निचे दिए गए links पर Click कर शेयर करे और अपने दोस्तों तक पहुँचाये।
Nice Article..
Thank you @Rohit. Please keep visiting.
क्या संघर्ष था सुन कर मजा आ गया दोस्त और भी ऐसी स्टोरी भेज ते रहो!
Thank You @SuccesStoryInHindi
Please keep visiting.